25 जून 1975 देश के इतिहास का वो काला दिन जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी की सरकार ने देश में आपातकाल की घोषणा की गयी , आपातकाल के साथ ही देश के नागरिको के सरे मौलिक अधिकार छीन लिए गए थे | उस समय इंदिरा गाँधी के मंत्रिमंडल की सिफारिश पर तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने इमरजेंसी की घोषणा की थी | उस दौर को गुजरे हुए 49 साल हो चुके है , लेकिन अभी भी लोग उस दौर को भूले नहीं है | यह इमरजेंसी 21 महीनो के लिए लगी थी |
इसके बाद 1977 में इमरजेंसी हटा कर चुनाव की घोषणा की गयी , परन्तु इस बार ये दांव इंदिरा गाँधी की सरकार के लिए घातक साबित हुआ , 1971 के चुनाव में 518 में से 352 सीट जितने वाली कांग्रेस इस बार सिर्फ 155 सीटों पर सिमट गयी | और पहली बार देश में गैर कोंग्रेसी सरकार बनी, मोरारजी देसाई देश के प्रधानमंत्री बने , लेकिन ये सरकार सिर्फ 2 साल ही चल पाई इसके बाद चौधरी चरण सिंह कांग्रेस के समर्थन से प्रधानमंत्री बने लेकिन वे भी केवल 5 महीने ही पद पर रहे | इसके बाद दोबारा हुए चुनावो में कांग्रेस की वापसी हुई और इंदिरा गाँधी एक बार फिर प्रधानमंत्री बनी |
आपातकाल में सारे विरोधी नेताओ को डाल दिया गया था जेल में :-
आपातकाल लगते ही देश के सारे विपक्षी नेताओ को जेल में डाल दिया गया , देश के नागरिको के सारे मौलिक अधिकार ख़त्म कर दिए गए थे | अखबारों पर सरकार के खिलाफ लिखने पर भी उनको जेल में डाल दिया जाता था , मोरारजी देसाई , जयप्रकाश नारायण , अटलबिहारी वाजपेयी , लालकृष्ण आडवाणी, मुलायम सिंह यादव, लालू प्रसाद यादव जैसे बड़े नेताओ समेत हजारो लोगो को जेल में डाल दिया गया था | RSS पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया इसके भी स्वयंसेवको को भी जेल में डाल दिया गया |
क्यों लगाया गया आपातकाल:-
1971 में हुए लोकसभा चुनाव में इंदिरा गाँधी ने उत्तरप्रदेश के रायबरेली से चुनाव लड़ा था , और बड़े अंतर से जीती थी, इनके सामने चुनाव हारने वाले राजनारायण ने कोर्ट में इनके खिलाफ शिकायत की थी | इसमें कहा गया की इंदिरा गाँधी ने चुनाव में सरकारी मशीनरी का दुरूपयोग किया है , 12 जून 1975 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इंदिरा गाँधी को दोषी पाया और इनका निर्वाचन निरस्त करके इन पर 6 साल तक चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी | जस्टिस जगमोहन सिन्हा ने ये फैसला सुनाया था , वही 24 जून 1975 को सुप्रीम कोर्ट ने भी ये फैसला बरक़रार रखा , लेकिन इंदिरा गाँधी को प्रधानमंत्री पद पर रहने की इजाजत दी |
इसके बाद जयप्रकाश नारायण ने इस्तीफे को लेकर देशभर में व्यापक आंदोलन शुरू किया , विपक्ष लगातार दबाव बना रहा था , इसके बाद इंदिरा गाँधी ने राष्ट्रपति से आपातकाल के फैसले पर तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद से हस्ताक्षर करवा कर पुरे देश में लागु कर दिया |
देश में लगा 3 बार आपातकाल :-
1975 के पहले भी देश में 2 बार आपातकाल लग चूका है , 1962 और 1971 में भी लगायी गयी थी इमरजेंसी |
भारत के संविधान के अनुच्छेद 352 के अंतर्गत राष्ट्रपति को देश में आपातकाल लगाने का अधिकार है , प्रधानमंत्री के मंत्रिमंडल की लिखित सिफारिश पर आपातकाल लगाया जाता है , . इसके तहत नागरिकों के सभी मौलिक अधिकार निलंबित हो जाते हैं. जब सम्पूर्ण देश या किसी राज्य पर अकाल, बाहरी देशों के आक्रमण या आंतरिक प्रशासनिक या अस्थितरता आदि की स्थिति उत्पन्न हो जाए, उस समय उस क्षेत्र की सभी राजनैतिक और प्रशासनिक शक्तियां राष्ट्रपति के हाथों में चली जाती हैं. भारत में अब तक तीन बार आपातकाल लगाया गया है |
1962 में भारत – चीन युद्ध के दौरान देश की आंतरिक सुरक्षा को लेकर पहली बार आपातकाल लगाया गया था | इसके बाद 1971 में भारत – पाक युद्ध के दौरान में भी आंतरिक सुरक्षा का हवाला देकर आपातकाल लगाया गया था , परन्तु 1975 में लगाए गए आपातकाल को विपक्ष के द्वारा कहा गया की ये इंदिरा गाँधी द्वारा अपने निजी हितो के लिए लगाया गया है |