कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष Rahul Gandhi इस बार वायनाड के अलावा गाँधी परिवार की परंपरागत सीट रायबरेली से चुनाव लड़ेंगे , इसकी घोषणा नामांकन के आखिरी दिन की गयी |
रायबरेली और अमेठी गाँधी परिवार की परम्परागत सीटे रही है , इन सीटों पर हमेशा से नेहरू गाँधी परिवार का दबदबा रहा है , हांलाकि 2019 के लोकसभा चुनाव में अमेठी सीट पर राहुल गाँधी BJP की स्मृति ईरानी से हार गए थे | लेकिन रायबरेली सीट पर उनकी माँ सोनिया गाँधी की जीत हुई थी , इस बार सोनिया गाँधी के चुनाव नहीं लड़ने के कारण इस सीट पर Rahul Gandhi को उतारा गया है | राहुल गाँधी इसके अलावा वायनाड से भी चुनाव लड़ रहे है , लेकिन इस बार अमेठी से गाँधी परिवार के करीबी K.L. Sharma को मैदान में उतारा है |
कई दिनों से इस बात के भी कयास लगाए जा रहे थे की इस बार प्रियंका गाँधी अपनी माँ की सीट से चुनाव मैदान में उतरेंगी । परन्तु वह से इस बार राहुल गाँधी को मैदान में उतर दिया गया | ये भी माना जा रहा है की ये सीट Rahul Gandhi के लिए बिलकुल आसान सीट है क्योकि अमेठी से वो पिछले चुनाव हार गए थे इस कारण पार्टी को ये अंदेशा था की कई इस बार भी वो वंहा से चुनाव लड़ते और हार जाते तो उनकी बड़े नेता की छवि को नुकसान पंहुचता इस कारण से उनके लिए ये सीट चुनी गयी |
क्यों खास है अमेठी और रायबरेली की सीट :
अमेठी और रायबरेली की सीट हमेशा से गाँधी परिवार की परमपरागत सीट रही है , गाँधी परिवार का गढ़ मानी जाने वाली इन दोनों सीटों पर हमेशा से इनका ही दबदबा रहा है , आज़ादी के बाद हुए चुनावो में 15 बार गाँधी परिवार ने इन सीटों का प्रतिनिधित्व किया है | रायबरेली सीट से पहली बार राहुल गाँधी के दादा फ़िरोज़ गाँधी ने चुनाव लड़ा था , वे यहाँ से 1952 – 1962 तक सांसद रहे |
इसके बाद उनकी पत्नी इंदिरा गाँधी ने भी अपने राजनितिक करियर की शुरुआत यही से की थी , और कई बार वो यहाँ से सांसद रही, इंदिरा गाँधी 1967 – 1984 तक यहाँ से सांसद रही , इसी बीच 1977 में इमरजेंसी के बाद हुए चुनावो में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था |1984 से 2004 तक ये सीट गाँधी परिवार के करीबियों के पास रही, उसके बाद सोनिया गाँधी 2004 से 2024 तक यहाँ से सांसद रही है |
इसी के साथ ही अमेठी सीट पर भी गाँधी परिवार का ही दबदबा रहा है , लेकिन इस बार 25 साल के बाद इस सीट पर गाँधी परिवार का कोई सदस्य चुनाव नहीं लड़ रहा है , इस बार पार्टी ने k. l. शर्मा को इस सीट से टिकट दिया है | इस सीट पर पहली बार 1976 में संजय गाँधी ने चुनाव लड़ा था, उसके बाद बाद 1980 में Rajiv Gandhi पहली बार यहाँ से चुनाव जीतकर लोकसभा में पंहुचेआयेइसके बाद वे 3 बार और चुनाव जीते थे इसके बाद 1998 में सोनिया गाँधी ने भी अपनी राजनितिक करियर की शुरुआत इसी सीट से की थी |
2004 के चुनाव में राहुल गाँधी के लिए ये सीट उन्होंने खाली कर दी थी , जिसके बाद 2004 से 2019 तक Rahul Gandhi यहाँ से सांसद रहे , परन्तु 2019 के चुनाव में उनको हार का सामना करना पड़ा था , बाद में वो वायनाड से भी सांसद बने |
रायबरेली से नामांकन के बाद क्या बोले Rahul Gandhi :
कांग्रेस नेता राहुल गाँधी ने अपने नामांकन से पहले रोडशो किया जिसमे उनके साथ उनकी माँ सोनिया गाँधी, बहन प्रियंका गाँधी, राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गेहलोत भी उनके साथ थे, रोड शो के बाद उन्होंने नामांकन दाखिल किया |
नामांकन भरने के बाद राहुल गाँधी ने कहा की ”रायबरेली से नामांकन मेरे लिए भावुक पल था। मेरी मां ने मुझे बड़े भरोसे के साथ परिवार की कर्मभूमि सौंपी है और उसकी सेवा का मौका दिया है। अमेठी और रायबरेली मेरे लिए अलग-अलग नहीं हैं, दोनों ही मेरा परिवार हैं और मुझे ख़ुशी है कि 40 वर्षों से क्षेत्र की सेवा कर रहे किशोरी लाल जी अमेठी से पार्टी का प्रतिनिधित्व करेंगे। अन्याय के खिलाफ चल रही न्याय की जंग में, मैं मेरे अपनों की मोहब्बत और उनका आशीर्वाद मांगता हूं। मुझे विश्वास है कि संविधान और लोकतंत्र को बचाने की इस लड़ाई में आप सभी मेरे साथ खड़े हैं” |
किससे होगा मुकाबला :
रायबरेली की सीट पर राहुल गाँधी का सीधा मुकाबला भाजपा के दिनेश प्रताप सिंह से होगा | 2018 में दिनेश प्रताप सिंह कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे। सोनिया गांधी को 5,31,918 मत मिले थे। भाजपा उम्मीदवार दिनेश प्रताप सिंह को 3,67,740 मत मिले थे। दिनेश प्रताप 1,64,178 मतों से हार गए थे, लेकिन उन्होंने सोनिया गांधी के जीत के अंतर को कम कर दिया था।
यह भी पढ़े : RAHUL GANDHI की भारत जोड़ो न्याय यात्रा का समापन आज :- BJP पर जमकर बरसे राहुल गाँधी
वही अमेठी की सीट पर के एल शर्मा का मुकाबला भाजपा की स्मृति ईरानी से होने वाला है जो 2019 के चुनाव में राहुल गाँधी को करीब 50000 वोटो से हरा चुकी है |
राहुल गाँधी के रायबरेली से चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद स्मृति ईरानी ने कहा की ” राहुल गाँधी पिछली बार अमेठी से हार के बाद वायनाड चले गए थे और 5 साल अमेठी वापस अनहि आये , इस बार वो रायबरेली से भी बड़े अंतर से चुनाव हारने वाले है ”|